उन्नत समाज – समर्थ राष्ट्र
बघेल समाज को यह खेद करने से पूर्व कि हमारा वास्तविक विकास नहीं हो रहा है, हम विकास से वंचित हैं, प्रगति के अर्थ में कुछ भी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं- यह सोचना चाहिए कि हमारी उन्नति और प्रगति हो क्यों नहीं हो रही है, हम उन्नति से वंचित हैं क्यों?
यदि अपनी स्थिति पर खेद करते रहने के बजाय उसके कारणों वर विचार किया जाये, तो पता चलेगा कि हमने जो विचार और कार्य पद्धति अपना रक्खी है, वह ही ठीक नहीं है और इसीलिये हम उन्नति और विकास से वंचित बने हुये हैं
हमारा जीवन समाज का दिया हुआ है। वह हमारी व्यक्तिगत सम्पत्ति नहीं है। समाज की एक धरोहर है। इसका उपयोग समाज के कल्याण और उसके हित के लिये ही होना चाहिये।
यदि हमारी उन्नति नहीं हो रही है, हम विकास के पथ पर नहीं बढ़ पा रहे हैं, तो इसका कारण यही हो सकता है कि हम सम्पूर्ण समाज को सामने न रखकर केवल अपने लिये ही सोचते और आचरण करने की गलती करते हैं। उन्नति और विकास की आधार-शिला सामूहिक भावना है।